अनधिकृत अनुपस्थिति का नियमितीकरण | Regularization of Unauthorized Absence

Regularization of Unauthorized Absence | अनधिकृत अनुपस्थिति के नियमितीकरण पर समेकित अनुदेश

कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 22 जून, 2010 के अनुसार सम्बन्धित विभाग को लम्बी अवधि के लिए अनधिकृत अनुपस्थिति के नियमितीकरण (Regularization of Unauthorized Absence) के संबंध में मंत्रालयों/विभागों से कई संदर्भ प्राप्त होते रहे हैं। ये सन्दर्भ मूलत: इसलिए भेजे जाते हैं क्योंकि मंत्रालय/विभाग ऐसी अनधिकृत अनुपस्थिति से निपटने के निर्धारित क्रियाविधि का पालन नहीं करते हैं। ऐसी स्थितियों से निपटने हेतु दिशा-निर्देश/अनुदेश मौजूद है।

2. केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 के नियम 25 के अनुसार:-

(1) जब तक अवकाश मंजूर करने वाला सक्षम प्राधिकारी अवकाश को बढ़ा नहीं देता, कोई सरकारी कर्मचारी जो अवकाश की समाप्ति के बाद अनुपस्थित रहता है, तो ऐसी अनुपस्थिति की अवधि के लिए वह अवकाश वेतन प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा और वह अवधि उसके अवकाश खाते से अर्धवेतन अवकाश के रूप में उतनी घटा लीं जाएगी जितना अवकाश शेष है, ऐसे शेष अवकाश की अतिरिक्त अवधि असाधारण अवकाश मानी जाएगी।

(2) अवकाश समाप्ति के पश्चात्‌ ड्यूटी से स्वैच्छिक अनुपस्थिति पर सरकारी कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जा सकती है। इस संबंध में भारत सरकार के निर्णय भी विद्यमान हैं कि जो सरकारी कर्मचारी बिना किसी प्राधिकार के अनुपस्थित रहता है, उसके विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिए और यह तब तक चलती रहनी चाहिए जब तक यह अनुपस्थिति केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 के नियम 32 (2) (क) में निर्धारित सीमा से अधिक नहीं हो जाती।

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3. इस बात पर पुन: बल दिया जाता है कि जो सरकारी कर्मचारी बिना किसी प्राधिकार के अनुपस्थित रहता है, उसके विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिए। सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सरकारी कर्मचारी द्वारा अनधिकृत अनुपस्थिति के सभी मामलों में उसे ऐसी अनुपस्थिति के परिणामों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह तत्काल/निर्धारित तिथि जैसे, तीन दिनों के अन्दर पुन: कार्य ग्रहण कर लें, ऐसा न करने पर उसके विरूद्ध केन्द्रीय सिविल सेवा (सी.सी.ए.) नियमावली, 1965 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

यदि सरकारी कर्मचारी निर्धारित तिथि तक कार्यग्रहण नहीं करता है तो अनुशासनिक प्राधिकारी को उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ कर देनी चाहिए और अनुशासनिक मामले का संचालन और समापन यथाशीघ्र किया जाना चाहिए।

4. अनुशासनिक प्राधिकारियों की उदासीनता के कारण ही ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जिसमें लम्बे समय से लम्बित अनधिकृत अनुपस्थिति से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति सहित अन्य सेवा संबंधी मामलों में विलम्ब होता है। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए सभी मंत्रालय/विभाग को सभी अनुशासनिक प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सलाह देनी चाहिए कि बिना अनुमति के अनुपस्थित रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध त्वरित कार्रवाई की जाती है और यह कि आरोप-पत्र बिना किसी विलम्ब के जारी किए जाते हैं।

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5. जो अधिकारी बिना किसी प्राधिकार के ड्यूटी से अनुपस्थित हैं उनके संबंध में अपनाए जाने वाले परिणाम और क्रियाविधि एफ. आर. 17(1) और 17-ए मेँ स्पष्ट किए गए हैं। एफ. आर. 17 ए(॥) के अनुसार केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1972 के नियम 27 के प्रावधानों में, बिना किसी पूर्वाग्रह के, अवकाश यात्रा रियायत, अर्थस्थायित्व और विभागीय परीक्षा में बैठने हेतु पात्रता जिसके लिए निरन्तर सेवा की न्यूनतम अवधि आवश्यक है, के उद्येशार्थ सक्षम अधिकारी द्वारा किए गए निर्णय से परे बिना किसी प्राधिकार के अनुपस्थित रहने अथवा पद को छोड़ देनें से कर्मचारी की सेवा में व्यवधान अथवा भंजन होगा।

6. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अनधिकृत अनुपस्थिति के नियमितीकरण पर आदेश जारी किए हैं कि अवकाश स्वीकृति द्वारा कवर नहीं की गई अनुपस्थिति को, सभी उद्देश्यों के लिए अर्थात् पेंशन, अवकाश और वेतनवृद्धि के लिए “सेवा में विराम” माना जाएगा। बिना अवकाश के ऐसी अनुपस्थिति जहां यह एकलरूप में है और किसी अनुपस्थिति की प्राधिकृत अवकाश की निरंतरता में नहीं है तो यह पेंशन के उद्येशार्थ सेवा में व्यवधान माना जाएगा और जब तक पेंशन संस्वीकृति प्राधिकारी उस अवधि को बिना भत्ते के अवकाश मानने हेतु अनुच्छेद 421, सिविल सेवा विनियम [अब केन्द्रीय सिविल सेवा पेंशन नियमावली का नियम 27] के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करता, सम्पूर्ण पिछली सेवा जब्त हो जाएगी।

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7. यह नोट किया जाए कि पेंशन के उद्येशार्थ अनधिकृत अनुपस्थिति के नियमितीकरण पर केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली के अन्तर्गत विचार किया जाएगा। केवल उन मामलों में आवेदन किए गए और शेष और अनुमन्य अवकाश उसको केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली के अंतर्गत मंजूर किए जाए जहां अनुशासनिक प्राधिकारी संतुष्ट है कि अनधिकृत अवकाश हेतु प्रस्तुत किए गए कारण न्यायोचित हैं।

सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से उक्त नियम की प्रति प्राप्त कर सकते हैं।


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