विकलांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण | Reservation for persons with disabilities

Reservation for persons with disabilities | नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण सम्बन्धी नियम

कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 29 दिसम्बर, 2005 के द्वारा नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण सम्बन्धी दिशा-निर्देश जारी किये गए है। मौजूदा अनुदेशों को समेकित करने, उन्हें निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के अनुरूप लाने और प्रक्रियात्मक मसलों समेत कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने की दृष्टि से, भारत सरकार के अन्तर्गत सेवाओं और पदों में निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों (शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों) के लिए आरक्षण के सम्बन्ध में निम्नलिखित अनुदेश जारी किए जाते हैं। ये अनुदेश, इस विषय पर जारी सभी पूर्ववर्ती अनुदेशों का अधिक्रमण करेंगे।

सरकार की नौकरियों में शारीरिक रूप से विकलांग आरक्षण

विषयसूची:
2. आरक्षण की मात्रा

(i) समूह क, ख, ग और घ पदों पर सीधी भर्ती के मामले में तीन प्रतिशत रिक्तियाँ, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखी जाएँगी जिसमें से एक-एक प्रतिशत रिक्तियाँ- i) दृष्टि विहीनता अथवा कम दृष्टि, ii) बधिरता और iii) चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फालिज़) से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए, उन नि:शक्तताओं के लिए उपयुक्त पहचाने गए पदों में आरक्षित होंगी।

(ii) समूह ‘घ’ और “ग’ पदों में, जिनमें सीधी भर्ती का अंश 75% से अधिक नहीं हो, पदोन्नति के मामले में तीन प्रतिशत रिक्तियाँ, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखी जाएँगी जिसमें से एक-एक प्रतिशत रिक्तियॉ- (i) दृष्टिविहीनता अथवा कम दृष्टि (ii) बधिरता और (iii) चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फालिज़) से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए, उन नि:शक्तताओं के लिए उपयुक्त पहचाने गए पदों में आरक्षित होंगी।

3. आरक्षण से छूट

यदि कोई विभाग/मंत्रालय, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्रावधान से किसी प्रतिष्ठान को अंशतः अथवा पूर्णतया मुक्त रखना आवश्यक समझे तो वह ऐसे प्रस्ताव का पूर्ण औचित्य दर्शाते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को संदर्भ भेज सकता है। छूट प्रदान किए जाने के बारे में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा स्थापित अन्तर विभागीय समिति द्वारा विचार किया जाएगा।

4. उपयुक्त नौकरियों/पदों की पहचान

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अपनी दिनांक 31.5.2001 की अधिसूचना संख्या 16-25/99.एन.आई.आई. के माध्यम से निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नौकरियों/पदों का तथा ऐसी सभी नौकरियों/पदों से सम्बन्धित शारीरिक अपेक्षाओं का पता लगा लिया है। उक्त अधिसूचना के अनुबंध-1 में दर्शायी गई समय-समय पर यथा संशोधित नौकरियाँ/पद, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों को 3 प्रतिशत आरक्षण को प्रभाव में लाने के लिए प्रयोग में लाई जाएँगी। तथापि, यह ध्यान रहे कि:-

(क) किसी नौकरी/पद के लिए प्रयुक्त नामावली में सदृश कामकाज वाली अन्य तुलनीय नौकरियों/पदों के लिए प्रयुक्त नामावली भी शामिल होगी।

(ख) सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नौकरियों/पदों की सूची निःशेष नहीं है। सम्बन्धित मंत्रालयों/विभागों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पहले से ही उपयुक्त पहचानी गई नौकरियों/पदों के अतिरिक्त नौकरियों/पदों की पहचान करने का विवेकाधिकार होगा। तथापि, कोई भी मंत्रालय/विभाग/प्रतिष्ठान अपने विवेकाधिकार से उपयुक्त पहचानी गई किसी नौकरी/पद को आरक्षण के दायरे से अपवर्जित नहीं कर सकेगा।

(ग) यदि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पहचानी गई कोई नौकरी/पद वेतनमान में अथवा अन्यथा बदलाव के कारण एक समूह अथवा ग्रेड से किसी दूसरे समूह अथवा ग्रेड में तब्दील हो जाए तो भी वह नौकरी/पद उपयुक्त पहचाना गया बना रहेगा।

5. एक अथवा दो श्रेणियों के लिए उपयुक्त पहचाने गए पदों में आरक्षण

यदि कोई पद निःशक्तता की एक श्रेणी के लिए ही उपयुक्त पहचाना गया हो तो उस पद में आरक्षण उस निःशक्तता वाले व्यक्तियों को ही दिया जाएगा। ऐसे मामलों में तीन प्रतिशत का आरक्षण कम नहीं किया जाएगा तथा उस पद में पूर्ण आरक्षण, उस निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों को दिया जाए जिस के लिए वह उपयुक्त पहचाना गया हो। इसी तरह, किसी पद के निःशक्तता की दो श्रेणियों के लिए उपयुक्त पहचाने गए होने की स्थिति में, जहाँ तक संभव हो, आरक्षण निःशक्तता की उन दोनों श्रेणियों के व्यक्तियों के बीच समान रूप से विभाजित कर दिया जाए। तथापि, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रतिष्ठान में आरक्षण, विभिन्न पदों में इस तरह विभाजित किया जाए कि निःशक्तता की तीनों श्रेणियों के व्यक्तियों को यथासंभव समान प्रतिनिधित्व मिले।

6. अनारक्षित रिक्तियों पर नियुक्ति:

निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पहचाने गए पदों में, नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्ति को किसी अनारक्षित रिक्ति पर नियुक्ति के लिए प्रतिस्पर्द्धां करने से मना नहीं किया जा सकता। इस तरह, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति को किसी अनारक्षित रिक्ति पर नियुक्त किया जा सकता है बशर्तें कि पद संगत श्रेणी की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पहचाना गया हो।

7. अपनी ही योग्यता पर चयनित उम्मीदवारों का समायोजन

मानदंडों में बिना किसी शिथलीकरण के, अपनी ही योग्यता के आधार पर, अन्य उम्मीदवारों के साथ चुने गए निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति रिक्तियों के आरक्षित भाग में समायोजित नहीं किए जाएँगे। आरक्षित रिक्तियाँ, निःशक्तता से ग्रस्त पात्र उम्मीदवारों में से अलग से भरी जाएँगी जिनमें ऐसे शारीरिक रूप से वे विकलांग उम्मीदवार सम्मिलित होंगे जो योग्यता सूची में अंतिम उम्मीदवार से योग्यता में नीचे होंगे परन्तु नियुक्ति हेतु अन्यथा, यदि आवश्यक हो तो शिथिलीकृत मानदण्डों से, उपयुक्त पाए जाएँगे। ऐसा सीधी भर्ती एवं पदोन्नति दोनों मामलों में, जहाँ भी निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण अनुमन्य हो, लागू होगा।

8. निःशक्तताओं की परिभाषाएँ:

इस कार्यालय ज्ञापन के प्रयोजन से नि:शक्तता की श्रणियों की परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं:-

(i) (क) अंधापन: “अंधापन” का अभिप्राय जब कोई व्यक्ति निम्नलिखित परिस्थियों से ग्रसित हो।

(अ) दृष्टि का पूर्ण अभाव; अथवा

(ब) बेहतर आँख में दृष्टि सुधारने वाले लेंसों के साथ दृष्टि-विमलता 6/60 अथवा 20/200 (स्नेलैन) से अनधिक; अथवा

(स) दृष्टि क्षेत्र की सीमा जिससे 20 डिग्री का कोण व्याप्त हो अथवा इससे बदतर;

(ख) कम दृष्टि: “कम दृष्टि चाले व्यक्ति” से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जिसकी दृष्टिक-क्रिया उपचार के अथवा मानक परावर्तित सुधार करवाने के बाद भी खराब हो परन्तु जो समुचित सहायक यंत्र से किसी काम की योजना बनाने अथवा उसे निष्पादित करने में दृष्टि का प्रयोग करता हो अथवा उसका प्रयोग करने में संभावनीय रूप से समर्थ हो।

(ii) कम सुनाई देने की निःशक्तता:
“कम सुनाई देने की निःशक्तता” से बेहतर कान में बातचीत स्वरूप की श्रेणी की आवृतियों में साठ डेसिबल अथवा उससे अधिक का लोप अभिप्रेत है।

(iii) (क) चलने-फिरने की नि:शक्तता:
“चलने-फिरने की नि:शक्तता” से हड्डियों, जोड़ों अथवा मांसपेशियों की निःशक्तता अथवा किसी भी तरह का प्रमस्तिष्कीय पक्षघात (फालिज़) अभिप्रेत है जिससे अंगों के हिलने-डुलने में अत्यधिक बाधा हो।

(ख) प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फालिज़):
“प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फालिज़)” से किसी व्यक्ति की गैर-विकासोन्मुख स्थितियों का समूह अभिप्रेत है जो, जन्म से पूर्व, जन्म के आसपास अथवा विकास की आरंभिक अवधि में घटित मस्तिष्क-आघात अथवा चोटों के परिणामस्वरूप चलने-फिरने की असामान्य नियंत्रण-भंगिमा के रूप में परिलक्षित होता है।

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(ग) शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के सभी मामले, “चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फालिज़)” की श्रेणी के अंतर्गत आएँगे।

9. आरक्षण के लिए निःशक्तता की मात्रा:

केवल ऐसे व्यक्ति सेवाओं/पदों में आरक्षण के लिए पात्र होंगे जो, कम-से-कम 40 प्रतिशत संगत निःशक्तता से ग्रस्त हों। जो व्यक्ति, आरक्षण का लाभ उठाना चाहता हो उसे, अनुबंध-1 में दिए गए प्रारूप में सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया निःशक्तता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।

10. निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकारी:-

निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए, केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा विधिवत रूप से गठित मैडिकल बोर्ड, सक्षम प्राधिकारी होगा। केन्द्र/राज्य सरकार मैडिकल बोर्ड का गठन कर सकती है जिसमें कम से कम तीन सदस्य होंगे। इन सदस्यों में कम से कम एक सदस्य, चलने-फिरने की निःशक्तता/प्रमस्तिष्कीय निःशक्तता/दृष्टि विहीनता अथवा कम दृष्टि की निःशक्तता/कम सुनाई देने की निःशक्तता, जैसा भी मामला हो, का मूल्यांकन करने के लिए क्षेत्र विशेष का विशेषज्ञ होना चाहिए।

11. मैडिकल बोर्ड, समुचित जाँच-पड़ताल के पश्चात्‌ स्थायी निःशक्तता के ऐसे मामलों में स्थायी निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करे, जहाँ निःशक्तता की मात्रा में परिवर्तन होने की कोई गुंजाइश न हो। मैडिकल बोर्ड, ऐसे मामलों में प्रमाण-पत्र की बैधता की अवधि इंगित करे जिनमें निःशक्तता की मात्रा में परिवर्तन होने की गुंजाइश हो। निःशक्तता प्रमाण पत्र के जारी किए जाने से तब तक इन्कार नहीं किया जाएगा जब तक आवेदक को, उसका पक्ष सुनने का अवसर न दे दिया जाए। आवेदक द्वारा अभ्यावेदन देने के पश्चात, मैडिकल बोर्ड मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अपने निर्णय की समीक्षा कर सकता है और उस मामले में अपने विवेकानुसार आदेश दे सकता है।

12. नियोक्ता प्राधिकारी से यह अपेक्षित है कि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्ति पर आरम्भिक नियुक्ति और पदोन्नति के समय वह यह सुनिश्चित करे कि उम्मीदवार, आरक्षण का लाभ प्राप्त करने का पात्र है।

13. आरक्षण की गणना:-

समूह ‘ग’ और समूह ‘घ’ पदों के मामले में, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के आरक्षण की गणना, स्थापना में समूह ‘ग’ अथवा समूह ‘घ’ पदों में होने वाली रिक्तियों की कुल संख्या के आधार पर की जाएगी, यद्यपि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों की भर्ती, केवल उनके लिए उपयुक्त पहचाने गए पदों पर ही की जाएगी। किसी स्थापना में समूह ‘ग’ पदों पर सीधी भर्ती के मामले में, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित की जाने वाली रिक्तियों की संख्या का आकलन, स्थापना के अन्तर्गत उपयुक्त पहचाने गए और उपयुक्त न पहचाने गए दोनों तरह के समूह “ग’ पदों में एक भर्ती वर्ष में सीधी भर्ती के लिए होने वाली रिक्तियों की कुल संख्या को ध्यान में रखकर की जाएगी। यही प्रक्रिया समूह ‘घ’ पदों पर लागू होगी। इसी प्रकार समूह ‘ग’ और ‘घ’ पदों में पदोन्नति के मामले में आरक्षण का आकलन करते समय, पदोन्नति कोटे की सभी रिक्तियों को ध्यान में रखा जाएगा। चूंकि आरक्षण, पहचाने गए पदों तक ही सीमित है और आरक्षित रिक्तियों की संख्या का आंकलन (पहचाने गए पदों और न पहचाने गए पदों में) कुल रिक्तियों के आधार पर किया जाता है, अतः किसी पहचाने गए पद पर आरक्षण द्वारा नियुक्त किए गए व्यक्तियों की संख्या 3% से अधिक हो सकती है।

14. समूह ‘क’ पदों में निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण का आंकलन, स्थापना में समूह ‘क’ के सभी उपयुक्त पहचाने गए पदों में सीधी भर्ती कोटे में होने वाली रिक्तियों के आधार पर किया जाएगा। आंकलन का यह तरीका समूह ‘ख’ पदों के लिए भी लागू है।

15. आरक्षण लागू करना-रोस्टरों का रखरखाव:

(क) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण निर्धारित करने/लागू करने के लिए सभी स्थापना, अनुबंध-1 में दिए गए प्रपत्र के अनुसार, 100 बिन्दुओं वाला आरक्षण रोस्टर बनाएं। सीधे भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘क’ पदों के लिए, सीधे भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘ख’ पदों के लिए, सीधे भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘“ग’ पदों के लिए, पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘ग’ पदों के लिए, सीधे भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘घ’ पदों के लिए और पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने वाले समूह ‘घ’ पदों के लिए अलग-अलग एक-एक आरक्षण रोस्टर होगा।

(ख) प्रत्येक रजिस्टर में 100 बिन्दुओं के चक्र होंगे और 100 बिन्दुओं का प्रत्येक चक्र तीन खण्डों में विभाजित होगा जिसमें निम्नलिखित बिन्दु होंगे:
प्रथम खण्ड – बिन्दु संख्या 1 से बिन्दु संख्या 33
द्वितीय खण्ड – बिन्दु संख्या 34 से बिन्दु संख्या 66
तृतीय खण्ड – बिन्दु संख्या 67 से बिन्दु संख्या 100

(ग) रोस्टर के 1, 34 और 67 संख्या के बिन्दु निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित चिन्हित किए जाएंगे जिनमें से नि:शक्तता की तीनो श्रेणियों के लिए एक-एक बिन्दु होगा। स्थापना अध्यक्ष सभी संगत तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह निर्धारित करेगा कि बिन्दु संख्या 14, 34 और 67 किन निःशक्तता के लिए आरक्षित होंगे।

(घ) स्थापना में सीधे भर्ती कोटे के अन्तर्गत समूह ‘ग’ पदों में होने वाली सभी रिक्तियों की प्रविष्टि, संगत रोस्टर रजिस्टर में की जाएगी। यदि बिन्दु संख्या 1 पर आने वाला पद, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं पहचाना गया है अथवा स्थापना अध्यक्ष इसे निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति के द्वारा भरना वांछनीय नहीं समझता है अथवा इसे किसी भी कारण से निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति के द्वारा भरा जाना सम्भव नहीं है तो बिन्दु संख्या 2 से 33 तक किसी भी बिन्दु पर आने वाली किसी रिक्ति को नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्ति के लिए आरक्षित माना जाएगा और इसे तदनुसार भरा जाएगा। इसी प्रकार, बिन्दु संख्या 34 से 66 तक अथवा 67 से 100 तक, किसी भी बिन्दु पर आने वाली रिक्ति को, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा भरा जाएगा। बिन्दु संख्या 11, 34 और 67 को आरक्षित रखने का उद्देश्य, बिन्दु 1 से 33 तक की प्रथम उपलब्ध उपयुक्त रिक्ति, बिन्दु 34 से 66 तक की प्रथम उपलब्ध उपयुक्त रिक्ति और बिन्दु 67 से 100 तक की प्रथम उपलब्ध उपयुक्त रिक्ति क्रो, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों से भरे जाने का है।

(ड.) इस बात की सम्भावना है कि बिन्दु संख्या 1 से 33 तक कोई भी रिक्ति, निःशक्तता से ग्रस्त किसी भी श्रेणी के लिए उपयुक्त न हो। उस स्थिति में, बिन्दु संख्या 34 से 66 तक दो रिक्तियाँ, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्तियों के रूप में भरी जाएंगी। यदि बिन्दु संख्या 34 से 66 तक की रिक्तियां, किसी भी श्रेणी के लिए उपयुक्त नहीं हो, तो बिन्दु 67 से 100 तक के तीसरे खण्ड में से तीन रिक्तियां, आरक्षित रिक्तियों के रूप में भरी जाएंगी। अभिप्राय यह है कि यदि किसी खण्ड विशेष में कोई भी रिक्ति आरक्षित नहीं की जा सकती हो तो यह अगले खण्ड में अग्रेणीत की जाएगी।

(च) रोस्टर के सभी 100 बिन्दु पूरे होने के पश्चात, 100 बिन्दुओं का एक नया चक्र शुरू होगा।

(छ) यदि एक वर्ष में रिक्तियों की संख्या केवल इतनी है कि उसमें केवल एक अथवा दो खण्ड ही आते हैं तो इस का विवेकाधिकार स्थापना के अध्यक्ष में निहित होगा कि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों की किस श्रेणी को पहले समायोजित किया जाए तथा इस बात का निर्णय स्थापना अध्यक्ष द्वारा, पद के स्वरूप, सम्बन्धित ग्रेड/पद इत्यादि में निःशक्तता से ग्रस्त विशिष्ट श्रेणी के प्रतिनिधित्व के स्तर के आधार पर किया जाएगा। (ज) पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले समूह ‘ग’ पदों के लिए एक अलग रोस्टर बनाया जाएगा और निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों को आरक्षण दिए जाने के लिए उपर्युक्त वर्णित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसी तरह समूह ‘घ’ पदों के लिए भी दो अलग रोस्टर बनाए जाएंगे, एक सीधे भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले पदों के लिए और दूसरा पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने वाले पदों के लिए।

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(झ) समूह ‘क’ और समूह ‘ख’ पदों में आरक्षण का निर्धारण, केवल उपयुक्त पहचान किए गए पदों की रिक्तियों के आधार पर ही किया जाता है। स्थापनाओं में समूह ‘क’ पदों और समूह ‘ख’ पदों के लिए अलग-अलग रोस्टरों का रखरखाव किया जाएगा। समूह ‘क’ और समूह ‘ख’ पदों के लिए रखे गए रोस्टरों में, पहचाने गए पदों में होने वाली सीधी भर्ती की सभी रिक्तियों की प्रविष्टि की जाएगी और ऊपर वर्णित तरीके के अनुसार ही आरक्षण लागू किया जाएगा।

16. सीधे भर्ती के मामले में आरक्षण की आपसी अदला-बदली और अग्रेणीत किया जाना:

(क) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों की तीनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग आरक्षण होगा। लेकिन यदि किसी स्थापना में रिक्तियों का स्वरूप इस प्रकार है कि निःशक्तता की किसी विशिष्ट श्रेणी के व्यक्ति को नियोजित नहीं किया जा सकता तो सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुमोदन से रिक्तियों की, इन तीनों श्रेणियों में आपसी अदला-बदली की जा सकती है और आरक्षण का निर्धारण किया जा सकता है और तदनुसार रिक्तियों को भरा जा सकता है।

(ख) यदि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों की किसी श्रेणी के लिए आरक्षित रिक्ति को, उस निःशक्तता वाले उपयुक्त व्यक्ति के उपलब्ध न होने के कारण अथवा किसी अन्य ठोस कारणवश नहीं भरा जा सके तो इस प्रकार की रिक्ति भरी नहीं जाएगी और उसे अगले भर्ती वर्ष के लिए ‘पिछली बकाया आरक्षित रिक्ति’ के रूप में अग्रेणीत कर दिया जाएगा।

(ग) अगले भर्ती वर्ष में पिछली बकाया आरक्षित रिक्ति को, निःशक्तता से असल व्यक्तियों की उसी श्रेणी के लिए आरक्षित माना जाएगा जिसके लिए भर्ती के प्रारम्भिक वर्ष में इसे आरक्षित किया गया था। तथापि, यदि निःशक्तता से ग्रस्त कोई उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो तो इसे निःशक्तता की तीन श्रेणियों के बीच अदला-बदली करके भरा जाएगा। यदि अगले वर्ष में भी पद को भरने के लिए निःशक्तता से ग्रस्त कोई उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो तो नियोक्ता, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति करके रिक्ति को भर सकता है। यदि रिक्ति, उस निःशक्तता वाली श्रेणी के व्यक्ति से भरी जाती है जिसके लिए यह आरक्षित थी अथवा अगले भर्ती वर्ष में रिक्ति की अदला-बदली द्वारा निःशक्तता की दूसरी श्रेणी के व्यक्ति द्वारा भरी जाती है तो इसे आरक्षण के द्वारा भरी हुई समझा जाएगा। यदि अगले भर्ती वर्ष में रिक्ति, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति से भिन्न व्यक्ति द्वारा भरी जाती है तो आरक्षण दो भर्ती वर्षो तक की आगे की अवधि के लिए अग्रेणीत हो जाएगा तथा इसके पश्चात्‌ आरक्षण, समाप्त हो जाएगा। आगे के इन दो वर्षों में, यदि इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है तो आरक्षित रिक्ति को भरने की वही प्रक्रिया होगी जो बाद वाले पहले भर्ती वर्ष में अपनाई जाती है।

17. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आरक्षण समाप्त हो जाने के मामले कम से कम हों, निःशक्तता से ग्रस्त उम्मीदवारों की भर्ती की गणना, पहले पिछले वर्षों से अग्रेणीत कोटे में उनके काल क्रमानुसार की जाए। यदि सभी रिक्तियों के लिए उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हों तो पुराने अग्रेनीत आरक्षण को पहले भरा जाएगा और अपेक्षाकृत बाद में अग्रेनीत आरक्षण को और आगे अग्रेनीत किया जाएगा।

18. पदोन्नति के मामले में विचारण क्षेत्र परस्पर आदान-प्रदान और अग्रेनीत आरक्षण

(क) आरक्षित रिक्तियों को चयन के माध्यम से पदोन्नति द्वारा भरते समय सामान्य विचारण क्षेत्र में आने वाले निःशक्त उम्मीदवारों की पदोन्नति पर विचार किया जाएगा। जहाँ, सामान्य विचारण क्षेत्र में विकलांगों की उपयुक्त श्रेणी के नि:शक्त उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं होते, वहां विचारण क्षेत्र रिक्तियों की संख्या का पांच गुना बढ़ा दिया जाए और बढ़ाए गए विचारण क्षेत्र में आने वाले निःशक्त उम्मीदवारों पर विचार किया जाए। यदि बढ़ाए गए विचारण क्षेत्र में भी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हों, तो यदि संभव हो तो आरक्षण की अदला-बदली की जा सकती है ताकि पद को निःशक्तता की अन्य श्रेणी के उम्मीदवार द्वारा भरा जा सके। यदि आरक्षण द्वारा पद को भरा जाना संभव नहीं हो तो पद को, निःशक्त व्यक्ति के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भरा जाए तथा आरक्षण को अगले तीन भर्ती वर्षों तक अग्रेनीत कर दिया जाए जिसके बाद यह समाप्त हो जाएगा।

(ख) गैर-चयन के माध्यम से पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले पदों में, नि:शक्तता से ग्रस्त पात्र उम्मीदवारों को आरक्षित रिक्तियों पर पदोन्नति देने पर विचार किया जाएगा। यदि निःशक्तता की उपयुक्त श्रेणी का कोई पात्र उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होता है तो रिक्ति को निःशक्तता की अन्य श्रेणी जिसके लिए पद को उपयुक्त पहचाना गया हो, के साथ अदला-बदला जा सकता है। यदि अदला-बदली करके भी आरक्षण द्वारा पद को भरा जाना संभव नहीं है तो आरक्षण को अगले तीन भर्ती वर्षो तक अग्रेनीत किया जाएगा जिसके बाद यह समाप्त हो जाएगा।

19. निःशक्त व्यक्तियों के लिए होरिजेन्टल आरक्षण:

पिछड़े वर्ण के नागरिकों (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों) के लिए आरक्षण को वर्टिकल आरक्षण कहा जाता है और निःशक्त व्यक्तियों और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण को होरिजेन्टल आरक्षण कहा जाता है। होरिजेन्टल आरक्षण और वर्टिकल आरक्षण आपस में मिल जाते हैं (जिसे इंटर लॉकिंग आरक्षण कहा जाता है) और निःशक्त व्यक्तियों के लिए निर्धारित कोटे में से चुने गए व्यक्तियों को, अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों/अन्य पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए बनाए गए रोस्टर में उनकी श्रेणी के आधार पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़े वर्ग/सामान्य श्रेणी की उपयुक्त श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरणत: यदि किसी दिए गए वर्ष में निःशक्त व्यक्तियों के लिए दो रिक्तियाँ आरक्षित हैं और नियुक्त किए गए दो निःशक्त व्यक्तियों में से एक व्यक्ति अनुसूचित जाति का है और दूसरा सामान्य श्रेणी का है तो अनुसूचित जाति के निःशक्त उम्मीदवार को, आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति के बिन्दु पर समायोजित किया जाएगा और सामान्य उम्मीदवार को संगत आरक्षण रोस्टर में अनारक्षित बिन्दु पर रखा जाएगा। यदि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित बिन्दु पर कोई भी रिक्ति नहीं होती तो अनुसूचित जाति का निःशक्त उम्मीदवार, भविष्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित अगली उपलब्ध रिक्ति पर समायोजित किया  जाएगा।

20. चूंकि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों को, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़े वर्गों के लिए बनाए गए आरक्षण रोस्टर में, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़े वर्ग/सामान्य श्रेणी में उपयुक्ततः रखा जाना होता है अतः निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित कोटे के अंतर्गत पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को अपने आवेदन-पत्र में यह दर्शाना अपेक्षित होगा कि वे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़े वर्ग अथवा सामान्य श्रेणी में से किस श्रेणी से संबद्ध हैं।

21. आयु सीमा में छूट:
(i) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए अधिकतम आयु-सीमा में छूट इस प्रकार होगी

(क) समूह “ग” और समूह “घ” पदों पर सीधी भर्ती के मामलों में 10 वर्ष (अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए 15 वर्ष और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 13 वर्ष)

(ख) समूह “क” और समूह “ख” के ऐसे पदों के मामले में जिन पर सीधी भर्ती खुली प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से नहीं की जाती 5 वर्ष (अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए 10 वर्ष और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 8 वर्ष) और

(ग) समूह “क” और समूह “ख” पदों पर खुली प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती के मामले में 10 वर्ष (अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए 15 वर्ष और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 13 वर्ष) है।

(ii) आयु-सीमा में उक्त छूट लागू रहेगी भले ही पद आरक्षित हो अथवा नहीं बशतें कि पद, निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त माना गया हो।

22. उपयुक्तता मानदंडों में छूट:

यदि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिए सामान्य मानदंडों के आधार पर इस श्रेणी के उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं होते तो इनके लिए आरक्षित शेष रिक्तियों को भरने के लिए मानदंडों में ढील देकर इस श्रेणी के उम्मीदवारों का चयन किया जाए बशर्ते कि वे ऐसे पद अथवा पदों के लिए अनुपयुक्त न हों। इस प्रकार, यदि निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित सभी रिक्तियों को सामान्य मानदंडों के आधार पर नहीं भरा जा सके तो आरक्षित कोटा में कमी को पूरा करने के लिए इन श्रेणियों के उम्मीदवारों का मानदंडों को शिथिल करके चयन कर लिया जाए बशर्ते कि विचाराधीन पद/पदों पर नियुक्ति हेतु ये उम्मीदवार उपयुक्त पाए जाएं।

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23. स्वास्थ्य परीक्षा:

मूल नियमावली के नियम 10 के अनुसार, सरकारी सेवा में प्रवेश करने वाले प्रत्येक नए व्यक्ति को अपनी प्रारंभिक नियुक्ति के समय सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया स्वास्थ्य उपयुक्तता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना अपेक्षित होता है। निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति की, एक विशिष्ट प्रकार की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा धारित किए जाने हेतु उपयुक्त समझे गए पद पर नियुक्ति हेतु स्वास्थ्य परीक्षण के मामले में संबंधित चिकित्सा अधिकारी अथवा बोर्ड को इस संबंध में यह पूर्व सूचित किया जाएगा कि यह पद, संगत श्रेणी की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा धारित किए जाने के लिए उपयुक्त पाया गया है और तब उम्मीदवार का स्वास्थ्य परीक्षण इस तथ्य को ध्यान में रख कर किया जाएगा।

24. परीक्षा शुल्क और आवेदन शुल्क से छूट:

निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों को विभिन्न पदों पर भर्ती हेतु कर्मचारी चयन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग आदि द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में विहित आवेदन शुल्क और परीक्षा शुल्क के भुगतान से छूट प्राप्त होगी। यह छूट केवल उन्हीं व्यक्तियों को उपलब्ध होगी जो अन्यथा इस पद के लिए निर्धारित चिकित्सीय उपयुक्तता के मानदण्ड के आधार पर नियुक्ति के पात्र होते (निःशक्त व्यक्तियों को दी गई किन्हीं विशिष्ट छूटों सहित) और जो अपनी निःशक्तता की दावेदारी की पुष्टि के लिए किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी अपेक्षित प्रमाण-पत्र अपने आवेदन पत्र के साथ संलग्न करते हैं।

25. रिक्तियों हेतु नोटिस:

किसी निर्धारित पद पर निःशक्त व्यक्तियों को नियुक्ति का उचित अवसर प्रदान करना सुनिश्चित करने के क्रम में, रोजगार केन्द्रों, कर्मचारी चयन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग आदि को नोटिस भेजते समय तथा ऐसी रिक्तियों की विज्ञप्ति करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखी जाए:-

(i) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/पूर्व-सैनिक/दृष्टिहीनता अथवा कम दृष्टि की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों/कम सुनाई देने की नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों/चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (फॉलिज) से ग्रस्त व्यक्तियों हेतु आरक्षित रिक्तियों की संख्या स्पष्टतः दर्शायी जानी चाहिए।

(ii) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त चुने गए पदों की रिक्तियों के मामले में यह दर्शाया जाए कि संबंधित पद दृष्टि विहीनता अथवा कम दृष्टि से ग्रस्त निःशक्तता, कम सुनाई देने की निःशक्तता तथा/अथवा चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाधात से ग्रस्त व्यक्तियों, जैसा भी मामला हो, के लिए उपयुक्त पहचाना गया है और उपर्युक्त श्रेणी/श्रेणियों से संबंधित निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति जिनके लिए पद उपयुक्त पहचाना गया है, आवेदन करने की अनुमति है भले ही उनके लिए कोई रिक्ति आरक्षित हो या न हो। ऐसे उम्मीदवारों को योग्यता के सामान्य मानकों द्वारा ऐसे पदों पर नियुक्ति हेतु चुने जाने के लिए विचार किया जाएगा।

(iii) ऐसे पदों में रिक्तियों के मामले में जिन्हें निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पहचाना गया हो, चाहे रिक्तियाँ आरक्षित हों या न हों, यह उल्लेख किया जाए कि संबंद्ध पद संबद्ध निःशक्तता की श्रेणियों यथा नेत्रहीनता अथवा कम दृष्टि, कम सुनाई देने की नि:शक्तता और चलने-फिरने की निःशक्तता अथवा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात के लिए उपयुक्त पहचाना गया है। पद के कार्यात्मक वर्गीकरण तथा ऐसे पद के संबंध में कार्य निष्पादन हेतु शारीरिक अपेक्षाओं को भी स्पष्टतः दर्शाया जाए।

(iv) यह भी दर्शाया जाए कि संगत निःशक्तता के कम से कम 40 प्रतिशत रूप से ग्रस्त व्यक्ति ही आरक्षण के लाभ हेतु पात्र होंगे।

26. मांगकर्ता प्राधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र: निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों हेतु आरक्षण के प्रावधानों का सही-सही कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के क्रम में मांगकर्ता प्राधिकारी, संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग आदि पदों को भरने हेतु मांगपत्र भेजते समय निम्नलिखित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे:-

“यह प्रमाणित किया जाता है कि यह मांगपत्र भेजते समय निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 तथा निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के आरक्षण से संबंधित नीति का ध्यान रखा गया है। इस मांगपत्र में सूचित उपर्युक्त रिक्तियां 100 बिन्दु आरक्षण रोस्टर के चक्र संख्या …………… के बिन्दु सं. …………… पर में आती हैं और उनमें से …………… रिक्तियां निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित हैं।

27. निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के अभ्यावेदनों से संबंधित वार्षिक रिपोर्ट:

(i) प्रत्येक वर्ष की प्रथम जनवरी के तत्काल पश्चात प्रत्येक नियुक्ति प्राधिकारी अपने प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों को निम्नलिखित रिपोर्ट भेजेंगे:-
(क) अनुबंध-III में दिए गए निर्धारित प्रोफार्मा में पी.डब्ल्यू.डी.रिपोर्ट-I जिसमें वर्ष की प्रथम जनवरी को कर्मचारियों की कुल संख्या, ऐसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या जिन्हें नि:शक्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पहचाना गया है, तथा दृष्टिहीन अथवा कम दृष्ठि, कम सुनाई देने की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों, चलने फिरने की निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों तथा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या को प्रदर्शित किया जाएगा।

(ख) निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबंध-IV) में पी.डब्ल्यू.डी. रिपोर्ट-॥ जिसमें पिछले कैलेण्डर वर्ष में दृष्टिहीनता अथवा कम दृष्टि, कम सुनाई देने की निःशक्तता तथा चलने फिरने की निःशक्तता तथा प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त व्यक्तियों हेतु आरक्षित रिक्तियों की संख्या तथा वस्तुत: नियुक्त किए गए ऐसे व्यक्तियों की संख्या को दर्शाया जाएगा।

(ii) प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग, उनके अंतर्गत आने वाले सभी नियुक्ति प्राधिकारियों से मिलने वाली जानकारी की जांच करेंगे तथा उनके अधीन सभी संबद्ध तथा अधीनस्थ कार्यालयों की जानकारी सहित संबंधित मंत्रालय/विभाग के संबंध में पी.डब्ल्यू.डी. रिपोर्ट-I तथा पी.डब्ल्यू.डी. रिपोर्ट-II को निर्धारित प्रोफार्मा में भरकर प्रत्येक वर्ष के 31 मार्च तक कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भिजवाएंगे।

(iii) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को उपर्युक्त रिपोर्ट भेजते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखी जाएं:-

(क) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सांविधिक, अर्ध सरकारी तथा स्वायत्त निकायों के संबंध में रिपोर्ट नहीं भेजी जाए। सांविधिक अर्द्ध सरकारी तथा स्वायत्त निकाय निर्धारित प्रोफार्मा में भरकर समेकित जानकारी अपने प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग को भेजेंगे जो अपने स्तर पर उनकी जांच, मॉनीटरिंग तथा अनुरक्षण करेंगे। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के संबंध में ऐसी जानकारी एकत्रित करना सार्वजनिक उपक्रम विभाग से अपेक्षित है।

(ख) संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालय केवल अपने प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों को अपनी जानकारी भेजेंगे तथा वे इसे इस विभाग को सीधे नहीं भेजेंगे।

(ग) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों से संबंधित आंकड़ों में आरक्षण के आधार पर नियुक्त व्यक्ति एवं अन्यथा नियुक्त व्यक्ति शामिल होंगे।

(घ) निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति (पी.डब्ल्यू.डी.) रिपोर्ट-। का संबंध व्यक्तियों से है न कि पदों से। अतः इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करते समय रिक्त पदों आदि को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में प्रतिनियुक्ति पर गए व्यक्तियों को उस मंत्रालय/विभाग/कार्यालय की स्थापना में शामिल करना चाहिए जहाँ उन्हें लिया गया हो न कि मूल स्थापना में। किसी एक ग्रेड में स्थायी किन्तु स्थानापन्न अथवा उच्च ग्रेड में अस्थायी रूप से नियुक्त व्यक्तियों को संबंधित सेवा की उच्च ग्रेड से संबंधित श्रेणी के आंकड़ों में शामिल किया जाएगा।

28. निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए सम्पर्क अधिकारी:

अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के मामलों को देखने के लिए नियुक्त सम्पर्क अधिकारी निःशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों से संबंधित आरक्षण के मामलों के लिए भी सम्पर्क अधिकारियों के रूप में भी कार्य करेंगे और इन अनुदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करवाएँगे।

29. सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध है कि वे अपने नियंत्रणाधीन सभी नियुक्ति प्राधिकारियों की जानकारी में उपर्युक्त अनुदेशों को लाएँ।

सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से उक्त नियम की प्रति प्राप्त कर सकते हैं।


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