जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन | Verification of caste certificate

Verification of caste certificate at the time of initial appointment/promotion | प्रारंभिक नियुक्ति/पदोन्निति के समय जाति प्रमाण-पत्र का सत्यापन किये जाने सम्बन्धी नियम

कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 9 सितम्बर, 2005 के द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों की प्रारम्भिक नियुक्ति/पदोन्निति के समय उनकी जाति-स्थिति का सत्यापन (Verification of caste certificate) किये जाने सम्बन्धी नियम जारी किये गए है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 36011/16/80-स्थापना (एस सी टी) दिनांक 27 फरवरी, 1981 की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए आरक्षित रिक्तियों पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की प्रारम्भिक नियुक्ति/पदोन्नति के समय नियुक्ति प्राधिकारी उनकी जाति स्थिति सत्यापित (caste verification) करवाएं। इस कार्यालय ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि संभव है कि कोई उम्मीदवार जो सेवा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के रूप में शामिल हुआ हो, संबंधित जाति के वि-अनुसूचित हो जाने के कारण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का नहीं रहे।

अनुसूचित जाति का उम्मीदवार हिन्दू, सिक्ख अथवा बौद्ध धर्म से भिन्न कोई अन्य धर्म अपना लेने पर भी अपना अनुसूचित जाति का दर्जा गंवा बैठता है। यद्यपि सेवा में प्रवेश करने के उपरांत अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति का दर्जा गंवा बैठे ऐसे अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस बारे में सरकार को सूचित करें, उनमें से कई ऐसा नहीं करते। आवश्यक सावधानी के अभाव में संभव है कि गैर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार आरक्षण और पदोन्नति के मामले में विभिन्न रियायतों का लाभ उठा जाएं।

ये देखें :  LTC rules | छुट्टी यात्रा रियायत (एलटीसी) के नियम

अत: कर्मचारी के सेवाकाल के प्रत्येक महत्वपूर्ण पड़ाव पर उसकी जाति स्थिति का सत्यापन (caste verification) आवश्यक है जिससे अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए उद्दिष्ट आरक्षण से संबंधित लाभ तथा रियायतों की अन्य योजनाओं आदि का लाभ सही दावेदारों को मिले, न कि उन्हें जो ये लाभ पाने के अपात्र हो गए हैं। ऐसा सत्यापन (caste verification) सुकर-सहज बनाए जाने की दृष्टि से, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति जिस जाति/समुदाय से संबंधित हो उस जाति/समुदाय का नाम उसके आवास स्थान तथा राज्य का नाम, कर्मचारी की सेवा पुस्तिका, वैयक्तिक फाईल तथा अन्य सम्बन्धित अभिलेखों पर चिपकाया जाए।

सभी का ध्यान इस विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 36033/4/97-स्था. (आरक्षण) दिनांक 25 जुलाई, 2003 की ओर भी दिलाया जाता है जिसमें पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों की जाति/समुदाय स्थिति और उनकी सम्पन्नता-स्थिति का सत्यापन प्रारम्भिक नियुक्ति के समय किए जाने का प्रावधान किया गया है।

इस विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 36012/6/88-स्थापना (एस सी टी) दिनांक 24 अप्रैल, 1990 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों से संबंधित होने का दावा करने वाले उम्मीदवारों को जारी नियुक्ति प्रस्ताव में नियुक्ति प्राधिकारी निम्नानुसार एक खण्ड शामिल करें:-

ये देखें :  संवेदनशील पदों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशा-निर्देश | CVC guidelines on sensitive posts

“नियुक्ति अनन्तिम है और यह उम्मीदवार के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का होने के प्रमाण-पत्र का समुचित माध्यम से सत्यापन (Verification of caste certificate) किए जाने पर, सही पाए जाने की शर्त पर है। यदि उपर्युक्त सत्यापन से यह जाहिर हुआ कि उम्मीदवार का अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग का होने का दावा झूठा है तो कोई भी कारण बताए बिना उसकी सेवाएं तुरंत समाप्त कर दी जाएंगी और उसके द्वारा झूठा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए जाने के अपराध के कारण, भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी पूर्वाग्रह के बिना उसके विरूद्ध कार्रवाई भी की जा सकेगी।”

इसी प्रकार इस विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 36033/4/97-स्था. (आरक्षण) दिनांक 25 जुलाई, 2003 में यह प्रावधान किया गया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग का होने का दावा करने वाले उम्मीदवार को नियुक्ति प्रस्ताव दिए जाने के मामले में भी निम्नलिखित प्रकार का एक खंड शामिल किया जाए:-

“नियुक्ति अनन्तिम है और यह उम्मीदवार के अन्य पिछड़े वर्ग के किसी समुदाय का होने के प्रमाण-पत्र का समुचित माध्यम से सत्यापन (Verification of caste certificate) किए जाने पर, सही पाए जाने की शर्त पर है। यदि उपर्युक्त सत्यापन से यह जाहिर हुआ कि उम्मीदवार का अन्य पिछड़े वर्ग का होने अथवा सम्पन्न वर्ग के नहीं होने का दावा झूठा है तो कोई भी कारण बताए बिना उसकी सेवाएं तुरंत समाप्त कर दी जाएंगी और उसके द्वारा झूठा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए जाने के अपराध के कारण, भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी पूर्वाग्रह के बिना उसके विरूद्ध कार्रवाई भी की जा सकेगी।”

ये देखें :  Probation period and confirmation rules | परिवीक्षा अवधि और स्थायीकरण नियम

सरकार के नोटिस में यह लाया गया है कि कुछ उम्मीदवार जाति/समुदाय का झूठा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करके सरकार के अन्तर्गत अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों/अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित रिक्तियों पर रोजगार पाने में सफल हो जाते हैं और कुछ उम्मीदवार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का दर्जा खो देने के बावजूद अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को मिल रही सुविधाओं का लाभ उठाते रहते हैं। अतः यह निर्देश हुआ है कि उपर्युक्त अनुदेशों का पूरी कर्तव्यनिष्ठा से पालन किया जाए ताकि गैर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग का कोई भी उम्मीदवार इन श्रेणियों से सम्बद्ध होने का झूठा दावा प्रस्तुत करके रोजगार अथवा पदोन्नति अथवा रियायत के लाभ प्राप्त न कर सके और यदि कोई व्यक्ति ऐसे झूठे दावे के आधार पर नियुक्ति पा लेता है तो उसकी सेवा, नियुक्ति प्रस्ताव में निहित शर्तों के अनुसार समाप्त की जा सके।

इस कार्यालय ज्ञापन की विषय वस्तु को सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए।

सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से उक्त नियम की प्रति प्राप्त कर सकते हैं।


Leave a Reply