बाहरी रोजगार के लिए आवेदन का अग्रेषण | Forwarding of application for outside employment

Forwarding of application for outside employment | बाहरी रोजगार के लिए आवेदन का अग्रेषण किये जाने सम्बन्धी समेकित अनुदेश

कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 23 दिसंबर, 2013 के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों के अपने संवर्ग से बाहर के पदों के लिए आवेदन को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) करने के संबंध में विभिन्न अनुदेश/दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। आज तक जारी किए गए अनुदेशों को संदर्भ के लिए सरल स्पष्ट शीर्षो के अधीन समेकित किया गया है और इन्हें इस कार्यालय ज्ञापन में अनुबंध के रूप मेँ संलग्न किया गया है। अतः सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया जाता है कि वे उक्त दिशानिर्देशों को सभी संबंधितों के ध्यान में लाएं।

विषय सूची:

आवेदनों को अग्रेषित करना

सामान्य दिशा-निर्देश

ये दिशा-निर्देश, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्वायत्तशासी/सांविधिक निकायों, सीपीएसई इत्यादि के अंतर्गत आने वाले पदों के लिए सीधी भर्ती के लिए सरकारी सेवकों के आवेदनों को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) करने से संबंधित हैं। यह ध्यान दिया जाए कि यदि किसी व्यक्ति विशेष को कार्यमुक्त करने से मौजूदा महत्वपूर्ण कार्य पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है तो उसके आवेदन को लोक हित में रोकना न्यायोचित होगा, यदि अन्यथा आवेदन को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) भी कर दिया गया हो। सूचनार्थ यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि जहां उचित और पर्याप्त कारणों से किसी आवेदन को रोका जाता है तो उसमें किसी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 170/51-स्था. दिनांक 21.10.1952)

2. लोकहित शब्द की व्याख्या करना

(क) विभाग के प्रधन लोकहित शब्द की व्याख्या में किसी प्रकार की उदारता न बरतें और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था करें कि, आवेदनों को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) करना अपवाद के बजाय नियम होना चाहिए। सामान्यतया, प्रत्येक कार्मिक (चाहे वह वैज्ञानिक एवं तकनीकी अथवा गैर-वैज्ञानिक और गैर तकनीकी कार्मिक हो) को अनुमति दी जानी चाहिए कि वह स्थायी पद पर कार्यरत रहते हुए भी किसी बाहरी पद के लिए आवेदन कर सके।

(ख) केन्द्र सरकार के किसी विभाग, राज्य सरकार के स्वायत्तशासी निकायों अथवा अधीनस्थ कार्यालयों से संबंधित पदों, राज्य, केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के पूर्ण अथवा आंशिक स्वामित्व वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से संबंधित पदों तथा अर्द्ध-सरकारी संगठनों के पदों के लिए किए गए आवेदनों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां तक आवेदनों को अग्रेषित करने का संबंध है, उन सभी को एक समान समझा जाना चाहिए। तथापि, यदि कोई सरकारी सेवक किसी निजी कंपनी में पद के लिए आवेदन करने की इच्छा करता है, तो उसे गैर सरकारी नियोजन के लिए आवेदन करने से पूर्व अपना त्याग-पत्र अथवा सेवानिवृत्ति की सूचना, जैसा भी मामला हो, प्रस्तुत करना चाहिए।

(ग) इस प्रयोजनार्थ, “वैज्ञानिक तथा तकनीकी कार्मिक” की व्याख्या या अर्थ इस आशय से की जाए कि व्यक्ति उन पदों पर आसीन हैं अथवा उन सेवाओं से संबंधित हैं जिन्हें वैज्ञानिक अथवा तकनीकी पद अथवा वैज्ञानिक अथवा तकनीकी सेवा होना घोषित कर दिया गया है।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 70/10/60 (क) दिनांक 9.5.1960 तथा
कार्यालय ज्ञापन संख्या 8/7/69-स्था. (ग) दिनांक 01.1101970)

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3. ऐसे आवेदनों पर कार्रवाई करने के सम्बन्ध में सामान्य सिद्धान्त

ऐसे आवेदनों पर कार्रवाई करने के संबंध में पालन किए जाने वाले सामान्य सिद्धान्त निम्नानुसार हैं:-
(क) पूरी तरह से अस्थायी सरकारी सेवकों से प्राप्त आवेदनः- ऐसे सरकारी सेवकों से प्राप्त आवेदनों को तत्काल अग्रेषित किया जाए जब तक उन्हें रोकने के लिए लोकहित में बाध्यकारी आधार न हो।

(ख) स्थायी सरकारी सेवकों से प्राप्त आवेदन:- स्थायी गैर-वैज्ञानिक और गैर-तकनीकी कर्मचारियों तथा स्थायी वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारियों दोनों को बाहरी पदों के लिए आवेदन करने के लिए एक वर्ष में चार अवसर दिए जा सकते हैं, सिवाय उस स्थिति को छोड़कर जब किसी आवेदन को रोके जाने को सक्षम प्राधिकारी द्वारा लोक हित में उचित होना माना गया हो।’ कोई भी स्थायी सरकारी सेवक कष्ट अथवा कठोर व्यवहार की न्यायत: शिकायत नहीं कर सकता है यदि किसी अन्य पद अथवा नियोजन के लिए उसके आवेदन को रोक दिया जाता है।

(ग) ऐसे सरकारी सेवकों के आवेदन जिन्हें सेवा शुरू होने के पश्चात सरकारी खर्चे पर तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है:- ऐसा सरकारी सेवक कष्ट की न्यायत: शिकायत नहीं कर सकता है यदि उसे अन्य बेहतर नियोजन के लिए इस प्रकार अर्जित विशेष अर्हताओं का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जाती है। अतएव, ऐसे किसी मामले में आवेदन को रोकना न्यायोचित है।

(घ) वैज्ञानिक तथा तकनीकी कार्मिकों के अतिरिक्त, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों से संबंधित सरकारी सेवकों के आवेदन:- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अस्थायी अथवा स्थायी केंद्र सरकार के सेवकों के नियोजन के लिए आवेदनों को ऐसे अत्यंत विरल मामलों को छोड़कर तत्काल अग्रेषित कर दिया जाए जहां ऐसे आवेदनों को रोकने के लिए लोक हित का बाध्यकारी आधार विद्यमान हो। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के कर्मचारियों के मामले में आवेदन को रोकना नियम के बजाय अपवाद होना चाहिए जिन्हें अपने भविष्य को सुधारने के लिए प्रत्येक सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।

(ड) गैर-सरकारी व्यापार एवं औद्योगिक फर्मो इत्यादि में नियोजन के लिए सरकारी सेवकों के आवेदन:- जहां कोई सरकारी सेवक (अस्थायी सरकारी सेवक सहित) ऐसे नियोजन के लिए अनुमति प्राप्त करना चाहता हो, तो वह आवेदन करने से पूर्व अपना त्यागपत्र अथवा सेवानिवृत्ति की सूचना, जैसा भी मामला हो, प्रस्तुत करे। वह कष्ट की शिकायत नहीं कर सकता है यदि उसके आवेदन को रोका जाता है। यदि कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में बना हुआ है, तो राज्य किसी गैर-सरकारी नियोजक के पक्ष में उसकी सेवाओं को अभ्यर्पित करने के उसके दावे को वैधतापूर्वक इन्कार कर सकता है।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 170/51-स्था. दिनांक 21.10.1952, कार्यालय ज्ञापन संख्या 70/10/60-स्था.(क) दिनांक 09.05.1960, कार्यालय ज्ञापन संख्या 1/6/64-एससीटी दिनांक 19.03.1964, कार्यालय ज्ञापन संख्या 5/2/68-स्था.(ग) दिनांक 06.05.1968, कार्यालय ज्ञापन संख्या 8/769-स्था.(ग) दिनांक 01.11.1970, कार्यालय ज्ञापन संख्या 8/15/71-स्था.(ग) दिनांक 16.09.1971, कार्यालय ज्ञापन संख्या 8/22/71-स्था.(ग) दिनांक 16.10.1971)

4. ऐसे मामलों में, जहां कोई उसी/केंद्र सरकार के अन्य विभागों/राज्य सरकार/स्वायत्तशासी निकाय/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों इत्यादि के पदों के लिए आवेदन करता है, में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया

(क) अन्यत्र नियोजन के लिए सरकारी सेवकों के आवेदनों, जिन्हें विज्ञापनों अथवा परिपत्रों के प्रत्युत्तर के अलावा प्रस्तुत किया गया हो, को अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए। (कार्यालय ज्ञापन संख्या 5/3/65-स्था.(ग) दिनांक 21.12.1965)

(ख) आवेदनों के पूर्ववर्ती पैराग्राफों में दिए गए सामान्य सिद्धांतों के अनुसार अग्रेषित किया जाएगा, इस बात पर विचार किए बिना कि अन्य विभाग/कार्यालय में आवेदन किए गए पद स्थायी अथवा अस्थायी है।

(ग) स्थायी सरकारी सेवक के लिए, उनसे नियम के रूप में, मूल विभाग/कार्यालय से कार्यमुक्त होने के समय मूल विभाग/कार्यालय से त्यागपत्र देने के लिए कहा जाए। आवेदन को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) करते समय उससे इस आशय का शपथपत्र लिया जाए कि वह आवेदित पद पर चयन और नियुक्ति होने की स्थिति में मूल विभाग/कार्यालय से त्यागपत्र देगा। इस प्रक्रिया को उसी संगठन में किसी पद के लिए सीधी भर्ती के रूप में आवेदन करने वाले अस्थायी सरकारी सेवक के मामले में अपनाया जाए।

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(घ) स्थायी सरकारी सेवक के मामले में, उसके धारणाधिकार (लियन) को केंद्र/राज्य सरकार में नया पद होने के मामले में दो वर्ष की अवधि के लिए मूल विभाग/कार्यालय में बनाए रखा जा सकता है। उन्हें या तो उस अवधि के भीतर मूल विभाग/कार्यालय में प्रत्यावर्तित कर दिया जाए अथवा वे उस अवधि की समाप्ति पर मूल विभाग/कार्यालय से त्यागपत्र दें। अन्य विभाग/कार्यालय को आवेदनों को अग्रेषित करते समय इन शर्तों का अनुपालन करने के लिए शपथपत्र लिया जाए। ऐसे आपवादिक मामलों में जहां अन्य विभाग/कार्यालय को ऐसे सरकारी सेवकों को स्थायी करने के लिए अस्थायी पदों को स्थायी पदों में परिवर्तित करने में होने वाले विलंब के कारण, अथवा कुछ अन्य प्रशासनिक कारणों से कुछ और समय लेगा, वहां स्थायी सरकारी सेवकों को एक और वर्ष के लिए मूल विभाग/कार्यालय में अपना लियन बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी। ऐसी अनुमति प्रदान करते समय, इसी प्रकार का उपर्युक्त के समान एक नया शपथपत्र मूल विभाग द्वारा स्थायी सरकारी सेवकों से लिया जा सकता है।

(ड.) स्थायी सरकार सेवकों को किसी स्वायत्तशासी निकाय/सीपीएसई में नियुक्ति के लिए उनका चयन किए जाने पर नए संगठन में कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दिए जाने से पूर्व त्यागपत्र देना होगा। उनके मामले में, कोई लियन नहीं बनाए रखा जाएगा और वे केंद्र सरकार एवं स्वायत्तशासी निकायों/सीपीएसई इत्यादि के बीच कार्मिकों के आवागमन को विनियमित करने वाले पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा जारी किए गए आदेशों से अभिशासित होंगे।

(च) बंधपत्र (बाण्ड) की शर्तों को ऐसे मामलों में लागू किए जाने की आवश्यकता नहीं है जो उचित माध्यम से गैर-सरकारी नियोजन को छोड़कर अन्यत्र नियुक्ति के लिए आवेदन करते हैं। तथापि, बाण्ड के अंतर्गत बाध्यताओं को नए नियोजन को अग्रेषित किया जाएगा। इस आशय का एक शपथपत्र सरकारी सेवक से कार्यमुक्त होने से पूर्व प्राप्त किया जाना चाहिए। (कार्यालय ज्ञापन संख्या 60/3763-स्था.(क) दिनांक 14.7.1967, कार्यालय ज्ञापन संख्या 8/4/70-स्था.(ग) दिनांक 06.03.1974, कार्यालय ज्ञापन संख्या 28016/5/85-स्था.(ग) दिनांक 31.01.1986)

5. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)/कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा विज्ञापित पद

(क) जब सरकारी सेवक सीधी भर्ती के मामले में, यूपीएससी/एसएससी को सीधे ही आवेदन करते हैं, तो उन्हें अपने कार्यालय/विभाग के प्रधान को परीक्षा/पद जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया है, संबंधी ब्यौरे देते हुए अवश्य सूचित करना होगा जिसमें वे अनुरोध करेंगे कि वे (कार्यालय प्रधान) आयोग को सीधे ही अपनी अनुमति सूचित कर दें। तथापि, यदि कार्यालय/विभाग का प्रधान अपेक्षित अनुमति को रोकना आवश्यक समझते हों तो वे आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तारीख के 30 दिनों के भीतर तदनुसार आयोग को सूचित करें। यदि नीचे पैरा 6 में उल्लिखित कोई स्थिति विद्यमान है तो अपेक्षित अनुमति न दी जाए और यूपीएससी/एसएससी को इस तथ्य की सूचना तत्काल दी जाए और सरकारी सेवक के विरूद्ध आरोप की प्रकृति भी सूचित की जाए। यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि सरकारी सेवक के वास्तविक चयन की स्थिति में, उसे नियुक्ति स्वीकार करने के लिए कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा, यदि आरोप-पत्र/अभियोग की मंजूरी जारी कर दी जाती है अथवा आरोप-पत्र आपराधिक अभियोग के लिए किसी न्यायालय में दाखिल कर दिया जाता है अथवा यदि सरकारी सेवक को निलंबन के अन्तर्गत रखा जाता है।

(ख) यह उल्लेख किया जा सकता है कि चयन द्वारा सीधी भर्ती अर्थात्‌, “साक्षात्कार द्वारा चयन” के मामले में सतर्कता के दृष्टिकोण से किसी उम्मीदवार (सरकारी सेवक) की अनुपयुक्तता से संबंधित किसी बिन्दु को आयोग के संज्ञान में ल्राने का उत्तरदायित्व मांगकर्ता मंत्रालय/विभाग का है तथा यह कि ऐसा करने का उपयुक्त चरण प्रारम्भिक संवीक्षा के समय किया जाने वाला परामर्श होगा; अर्थात्‌ जब मामले को आयोग द्वारा साक्षात्कार के लिए उम्मीदवार के अनैतिक चयन पर मंत्रालय के प्रतिनिधि द्वारा टिप्पणी के लिए आयोग द्वारा मंत्रालय/विभागों को भेजा जाता है।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 14017/101/91-स्था.(आरआर) दिनांक 14 जुलाई, 1993 व कार्यालय ज्ञापन संख्या 2016/1/88 स्था.-(ग) दिनांक 18/07/1980)

(ग) जब एक बार प्रशासनिक प्राधिकारी ने आवेदन को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) कर दिया है तो यह आवश्यक है कि संबंधित कर्मचारी को नई जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए कार्यमुक्त किया जाना चाहिए। तथापि, जहां आवेदन के अग्रेषित करने के बाद, किन्तु चयन के पूर्व यदि अपवादात्मक परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनमें पदाधिकारी को कार्यमुक्त करना संभव न हो, तो इस तथ्य की जानकारी आयोग और पदाधिकारी को दी जानी चाहिए। किसी पदाधिकारी को कार्यमुक्त न करने का निर्णय केवल तब लिया जाना चाहिए जहाँ ऊपर संदर्भित परिस्थितियां वास्तव में अपवादात्मक हों।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 60/43/64 स्था.-(क) दिनांक 24.08.1965)

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6. ऐसी परिस्थितियां जिनमें आवेदन अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए

सीधी भर्ती, प्रतिनियुक्ति पर स्थानान्तरण अथवा स्थानान्तरण द्वारा किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए किसी सरकारी सेवक के आवेदन को अग्रेषित (Forwarding of application for outside employment) नहीं किया जाना चाहिए, यदि-
(क) (i) वह निलंबनाधीन है; अथवा
(ii) उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही लंबित हैं तथा आरोप-पत्रजारी कर दिया है; अथवा
(iii) जहाँ आवश्यक हो, सक्षम प्राधिकारी दवारा अभियोजन के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई हो; अथवा
(iv) जहाँ अभियोजन स्वीकृति आवश्यक नहीं है आपराधिक अभियोजन के लिए उसके विरूद्ध किसी न्यायालय में एक आरोप-पत्र दायर कर दिया गया है।
(v) जहाँ उस पर कोई शास्ति लगाई गई हो ऐसी शास्ति के दौरान कोई भी आवेदन अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए।

(ख) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अथवा नियंत्रक विभाग द्वारा जब किसी सरकारी सेवक का आचार/व्यवहार अन्वेषणाधीन है किन्तु अन्वेषण आरोप-पत्र जारी होने अथवा अभियोजन की स्वीकृति अथवा आपराधिक अभियोजन के लिए किसी न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल करने के चरण तक नहीं पहुंचा है, तो ऐसे सरकारी सेवक का आवेदन आरोपों की प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणियों सहित अग्रेषित किया जा सकता है तथा यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि सरकारी सेवक के वास्तविक चयन की स्थिति में, उसे नियुक्ति स्वीकार करने के लिए कार्यमुक्त नहीं किया जाना चाहिए, यदि उस समय तक उपर्युक्त (क) परिस्थितियों में से कोई भी उत्पन्न होती है।
(कार्यालय ज्ञापन संख्या 14017/101/91-स्था.(आरआर) दिनांक 14 जुलाई, 1993)

7. केन्द्रीय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय निकायों विज्ञापित पदों के लिए आवेदनों को अग्रेषित करना।

केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय स्वायत्त निकायों में पदों के लिए प्रेस विज्ञापन के जवाब में केन्द्रीय सेवकों के आवेदनों के कर्मचारी को स्पष्ट करते हुए अग्रेषित की जा सकती है कि आवेदन किए गए पद के लिए उनके चयन की स्थिति में वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय स्वायत्त निकायों में कार्यभार संभालने से पहले सरकार के साथ अपने संबंध समाप्त कर देंगे। ऐसे मामलों में कोई भी पुनर्ग्रहणाधिकार शेष नहीं रहेगा। कार्यमुक्ति आदेश में उस अवधि का उल्लेख किया जाना चाहिए जिस अवधि के भीतर पदाधिकारी को क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय स्वायत्त निकाय में कार्यभार संभाल लेना चाहिए। सामान्यतः यह अवधि 15 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह अवधि सक्षम प्राधिकारी द्वारा पदाधिकारी के नियंत्रण से बाहर की स्थिति बढ़ायी जा सकती है। सरकारी सेवक की सरकारी सेवा से त्यागपत्र को स्वीकार करने वाली आवश्यक अधिसूचना/आदेशों को उसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय स्वायत्त निकायों में कार्यभार संभालने की तारीख से जारी किया जाना चाहिए और कार्यभार से मुक्त होने और उसके द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम/स्वायत्त निकाय में कार्यभार संभालने के बीच की अवधि के लिए देय छुट्टी के अनुसार विनियमित किया जाना चाहिए। यदि छुट्टी बकाया नहीं है, तो असाधारण अवकाश प्रदान करके विनियमित किया जाना चाहिए। स्वीकृत अवधि के भीतर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/केन्द्रीय स्वायत्त निकायों में कार्यभार ग्रहण न कर पाने पर उसे तत्काल वापस मूल कार्यालय में रिपोर्ट करना चाहिए।
(पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग का कार्यालय ज्ञापन संख्या 4115/88-पी एण्ड पीडब्ल्यू (डी) दिनांक 13.11.1991)

सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से उक्त नियम की प्रति प्राप्त कर सकते हैं।


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